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ईंट का जवाब पत्थर……………..

सहज प्रवाह
सहज प्रवाह
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पाकिस्तान अपनी हरकतो से बाज आने वाला नहीं है और
भारत के ठंडे रवैये से उसको हमेशा बल मिलता है।
भारत सरकार पाकिस्तान से हमेशा दोस्ताने लहजे में बात करती आयी है
परंतु पाकिस्तान अपने नापाक मनसूबों को लिये हमेशा से हमारे मुल्क को
तबाह करने की साजिश में लगा रहता है। वहाँ की फौजें आतंक को
फैलाने में भरपूर सहयोग दिये जाती है और पाकिस्तान की सरकार नकारे
जाती है अपने ऊपर लगे सब आरोपों को, जो सच्चाई जग जाहिर है उस
पर भी वहाँ की सरकार आज तक साफ बयानी नहीं कर पायी है। क्या ये
पाकिस्तान की कूटनीति समझे? जिसमें वह भारत को हमेशा से कमजोर
बनाने की फिराक में लगा रहता है। वहाँ पर हुकुम और फरमान देते है
आतंकी आका और उन्हीं लहजों में बात करते है सरकार के नुमाइंदें।
पाकिस्तान से वार्ता करने आये नेता भारत में आकर भी स्वयं को संयमित
नहीं रख पाते और कहीं न कहीं उनकी जुबां पर सच्चाई झलक पडती है
जिसमें भारत के प्रति जहर उगला जाता है, केवल जहर। हम उसे अपना
समझने की बडी भूल बार बार करते आये है । पाकिस्तान में चल रहीं
आतंकी पाठशालाओं से कौन अवगत नहीं? परंतु पाकिस्तान हमेशा सच को
झुठलाता आया है। वह कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब तो नहीं हो
सका परंतु वह भारत की शिराओं को खोखला करने में लगा रहता है और
भारत का अहित उसके लिए सबसे बढकर है। हर बार वह अवसरवादी
रुख अख्तियार करता नजर आता है। भारत का नर्म रुख इस बात की ओर
संकेत करता है कि देश की सरकार सुरक्षा चक्र को मजबूत बनाने में अब
तक सफल नहीं हो पायी है ताकी मुँह तोड जवाब दिया जा सके या फिर
उसे शांतिप्रियता कुछ इस हद तक भा गयी है कि वह हर बार पाकिस्तान
का तमाचा खाने को तैयार रहना चाहती है! ‘ एक गाल पर कोई तमाचा
मारे तो दूसरा भी आगे कर दो’ वाले सिद्धांत को वह चरितार्थ किये है और
शायद इस पर बार बार खरी भी उतरी है! कितनी शंाति प्रिय! जब देश
का शासक मौनव्रत धारण किये रहता हो। हमारे जवान मारें जाते है …….
सैनिक का सिर धड से अलग कर ले जाता है पाकिस्तान…..हाफिज सईद
कश्मीर में खून खराबें की चेतावनी दे डालता है …….हमारे लोग आये दिन
पाकिस्तानी आतंकवाद का शिकार होते रहते है परंत फिर भी हमारी
सरकार कुछ नहीं कर पाती …….जनता को तो आश्वासनों के लंबे चिटठे
थमा दिये जाते है और सैनिकों के बलिदान को भी जाया किया जाता है ….
..हर बार बस! अमन शंाति की पहल की जाती है- हमारी ओर से। अरे!
पाकिस्तान अपने नापाक इरादों को कभी छोडने वाला नहीं जब तक वहां
आतंक पनपता रहेगा और भारत की ओर रिसता रहेगा तब तो नहीं,-
हमारी सरकार मुंहतोड जवाब देने के बारे में बातें शुरु करती है और सिर्फ
बातों ही बातों में मुंह तोड जवाब थमा दिया जाता है, कोई कार्यवाहीं जो
संतोषजनक हो वह नहीं कर पाती। सैनिक हमेशा हमेशा से सरहदों पर
जूझने के लिए तैयार रहते है – वो देश के सच्चे सेवक, सच्चे रक्षक सही
मायनों में सच्चे नेता भी हैं। परंतु कपटी लम्पट नेता जो सत्ता पर आरुढ
है वो मात्र अपने राजनीतिक हित को सर्वोपरि रखते है। उसमें वो देशहित
भी भूल जाते हैं। अजी, देशहित ही क्यूं, देश को ही भूले रहते हैं। है
कितना पाकिस्तान-भारत के एक प्रांत सरीखा। परंतु उसके नापाक इरादे
बुलंद। हमारे लोग शायद भाषण बाजी और नारों में ही अपना समय बर्बाद
कर देना ज्याद उचित समझते है। शत्रु को पहचान कर भी अनजान बने
रहते है। क्यूं सैनिकों को बेबस कर रखा है- निक्कमी सरकारों ने। क्यूं
जाबांजो को जूझनें का, …उनके बलिदान का सही प्रतिफल नहीं मिल पाता
…….जब पाक की सेना कुहरे का लाभ लेकर हमारे सैनिक का सिर ले जा
सकती है तो फिर हम क्यूं नहीं उनके सौ आतंकी सैनिकों के सिर ला
पाते। हम कानून और नियमों की जद में रहकर काम करना पसंद करते हैं
-इसलिए। पर क्या ये नियम नहीं की देश की आन बान शान के लिए
सरहदें पार कर ली जाये और दुश्मन को मुंहतोड जवाब दिया जाये। वीरों
की भूमि पर इस तरह का आचरण शोभनीय नहीं। सरदार भगत का भारत,.
…विवेकानंद का युवा भारत ……क्या बस! यूं चेपेटे खाने का आदि बनता जा
रहा है।
सरकार सोचती होगी कि मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी
कसाब को फांसी पर लटकान से ही सब कुछ हल हो गया परंतु क्या
हमारी सरकार अब तक संसद पर हमले के आरोपी आतंकवादी अफजल
को मौत के घाट उतार पायी? उसे अब तक क्यों बचा के रखा है?
क्यों नहीं ऐसे समय अफजल का सिर कलम कर पाकिस्तान भेज दिया
जाता,क्यों हम सियारों के सामने दहाड नहीं लगा पा रहे हैं? क्यों बस
बहसों में लपेट कर चर्चा गर्म कर बस कागजी पुलंदों को तैयार किया जा
रहा है? क्योवर्तमान सरकार देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के लिए
कोई ठोस कदम नहीं उठा पाती?…………क्यों?….क्यों?…….क्यों?…………..इन
सरकार अपना पल्ला झाडती आई है परंतु कब तक?…..
अब वक्त आ गया र्है इंट का जवाब पत्थर से देने का……..पत्थर भी ऐसा
जो पाकिस्तान के नापाक मनसूबों को कुचल डाले। भारत के प्रधानमंत्री
यदि ऐसी परिस्थिति में भी मौनी बाबा बने रहते है तो ये दुर्भाग्य पूर्ण होगा।
एके श्रेष्ठ शासक को परिस्थिति के अनुरुप स्वयं को ढालना चाहिए। उसे
मात्र एक ही आलाप या वृत्ति को बार बार नहीं दोहराना चाहिए- जैसा कि
हमारी सरकार करती आ रही है। शासक को सिर्फ शांतिप्रिय ही नहीं
युद्धप्रिय भी होना चाहिए, उसे देश की रक्षा के लिए स्वयं को प्रबल बनाना
चाहिए, देशवासियों को लगे कि हमने जिसे चुना वो हमारी रक्षा करने के
लिए स्वयं की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटेगा।…अमेरिका से सीखना
चाहिए हमें……वे अपने दुश्मन को नष्ट करने का माद्दा रखते है और एक
मिशन की तरह काम को अंजाम दे दिया जाता है।…….ये है कुटनीति…ये है
,राजनीति….ये नहीं कि संसद में चिल्ल पौ करते रहें और सडकों पर
नारेबाजी…..जनता को भाषणबाजी से मोहते फिरे।
ये खोखली राजनीति है….खोखली! ………….एकदम खोखली!!
हम दशकों से पाकिस्तान को अपना बिगडैल बच्चा समझकर उसको माफ
करते आ रहें है पर अब ये बच्चा न तो बच्चा रहा है और न इसे अब
अपना बच्चा सोचना चाहिए….ये जब भारत को अपना दुश्मन नं0 1 मानता
है तो हमें भी इसे कम नहीं समझना चाहिए। बहुत हुआ लाड प्यार अब
दिखा देना चाहिए कि हम जितना लाड प्यार कर सकते हैं उससे कहीं
अधिक सबक सीखाने में भी कोई कोर कसर छोडने वाले नहीं……अब इसे
सबक तो सीखाना ही होगा ताकि ऐसी गलती करने लायक ही न रहें।
देखते है भारत सरकार इस मामलें में कितनी सजगता दिखाती है? कुछ
नहीं तो सेना से हम पूरी उम्मीद करते है………जो नौजवानों के बलिदान को
जाया नहीं जाने देंगें। ………
जय भारत ! जय भारत के वीर जवान!
– सत्येन्द्र कात्यायन

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